
क्या हर बार ब्लोटिंग गैस ही होती है? जानिए पीरियड्स और हॉर्मोनल इम्बैलेंस का गहरा कनेक्शन
अक्सर महिलाओं को पीरियड्स से पहले या उस दौरान पेट फूलने, गैस बनने और मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ज़्यादातर बार इसे हम गलत खानपान या आमतौर से हम ऐसे गैस जैसे पेट समस्या होती हैं उस तरह से सोच लेते हैं पर असली में यह पेट फूलना हार्मोन वह हॉर्मनोल बदलाव हो सकता हैं?

पेट फूलना और हॉर्मोनल बदलाव – एक अनदेखा संबंध
हमारा पाचन तंत्र (Digestive System) और हॉर्मोन एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। विशेष रूप से महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन (Estrogen) और प्रोजेस्टेरोन (Progesterone) जैसे प्रमुख हॉर्मोन्स पाचन इस तरीके को सभी महसूस करते हैं? जब इनका संतुलन बिगड़ जाता हैं जो आंतो की गति(Gut Motility) में बदलाव हो सकता हैं ,जिससे की कब्ज, दस्त ,ब्लोटिंग,जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
रिसर्च क्या कहती है?
Cleveland Clinic (USA) की एक स्टडी के अनुसार, महिलाओं में 70% डाइजेस्टिव इश्यूज हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव से जुड़े होते हैं, विशेषकर पीरियड्स (Menstrual Cycle), प्रेग्नेंसी (Pregnancy), और मेनोपॉज (Menopause) के दौरान।
हॉर्मोनल असंतुलन के संकेत – नजरअंदाज न करें
यदि आप नियमित रूप से नीचे दिए गए लक्षणों का अनुभव कर रही हैं, तो यह केवल पेट से जुड़ी समस्या नहीं, बल्कि एक गहरे हॉर्मोनल इश्यू का संकेत हो सकता है:
प्रमुख लक्षण:
- बार-बार ब्लोटिंग या पेट फूलना
- मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन
- नींद की समस्या या बार-बार नींद से जागना
- अत्यधिक या अनियमित ब्लीडिंग
- त्वचा पर पिंपल्स, बालों का झड़ना
- वजन का अचानक बढ़ना या घटना
- थकान, लो एनर्जी लेवल और फोकस की कमी
हॉर्मोनल बदलाव क्यों करते हैं पाचन पर असर?
1. एस्ट्रोजन का उतार-चढ़ाव
एस्ट्रोजन हॉर्मोन जब बहुत अधिक या कम हो जाता है, तो यह पेट की कार्यप्रणाली को धीमा कर सकता है। इससे कब्ज, ब्लोटिंग और अपच जैसी शिकायतें होती हैं।
2. प्रोजेस्टेरोन का रोल
प्रोजेस्टेरोन आंतों की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है, जिससे भोजन का पाचन धीमा हो जाता है। इसी कारण पीरियड्स से पहले पेट भारी और फूला हुआ महसूस होता है।
3. कॉर्टिसोल और तनाव
जब शरीर में तनाव बढ़ता है, तो कॉर्टिसोल हॉर्मोन रिलीज होता है। यह हॉर्मोन न केवल वजन बढ़ाता है बल्कि पेट से जुड़ी समस्याओं को भी बढ़ा सकता है।
क्या करना चाहिए? – समाधान और डायग्नोसिस
1. ब्लड टेस्ट करवाएं
हॉर्मोनल असंतुलन का पता लगाने के लिए सामान्य लक्षणों के आधार पर निष्कर्ष न निकालें। इसके लिए एक Hormonal Blood Panel Test करवाना चाहिए जिसमें एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, थायरॉयड, टेस्टोस्टेरोन और कॉर्टिसोल स्तर की जांच होती है।
2. लाइफस्टाइल में बदलाव करें
- संतुलित आहार: प्रोबायोटिक्स, फाइबर युक्त आहार, और प्रोसेस्ड फूड से दूरी
- नियमित व्यायाम: वॉक, योग, स्ट्रेचिंग
- तनाव प्रबंधन: मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज
- नींद पूरी करें: कम से कम 7-8 घंटे की नींद
3. योग और मेडिटेशन का सहारा लें
कुछ विशेष योगासन जैसे पवनमुक्तासन, वज्रासन, और भ्रामरी प्राणायाम पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं और कॉर्टिसोल के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
4. जरूरत हो तो Hormone Replacement Therapy (HRT)
अगर समस्या गंभीर हो, तो डॉक्टर से सलाह लेकर हॉर्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी अपनाई जा सकती है। यह शरीर में हॉर्मोन के संतुलन को वापस लाने में मदद करता है।
कब डॉक्टर से मिलना जरूरी है?
यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण लंबे समय से परेशान कर रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क ज़रूरी है:
- साइकिल के दौरान बार-बार ब्लोटिंग
- पीरियड्स बहुत ज्यादा या बहुत कम होना
- अचानक वजन घटना या बढ़ना
- अत्यधिक थकान या मूड स्विंग्स
- तनाव का स्तर लगातार बढ़ना
निष्कर्ष
हर बार पेट फूलने या दर्द को केवल “गैस” समझ लेना एक बड़ी भूल हो सकती है। महिलाओं के शरीर में हॉर्मोनल बदलाव का असर पाचन तंत्र पर पड़ना आम है, लेकिन अगर इसे समय रहते समझा और संभाला जाए तो बड़ी समस्याओं से बचा जा सकता है। सही डायग्नोसिस, लाइफस्टाइल में सुधार और जागरूकता से आप खुद को स्वस्थ और संतुलित रख सकती हैं।
