Newztrending

जब ज़मीन घूमने लगे: क्रॉनिक वर्टिगो से जूझते लोगों की अनकही कहानी

जब हम कहते हैं कि दुनिया घूम रही है, तो अक्सर वह सिर्फ एक भाव होता है। लेकिन वर्टिगो (Vertigo) से पीड़ित लोगों के लिए यह एक दैनिक हकीकत है। चक्कर आना, संतुलन खो देना, नींद में बाधा, और रोज़मर्रा के कामों में कठिनाई—ये सब क्रॉनिक वर्टिगो का हिस्सा हैं। और इससे जूझने वाले लोग केवल अपनी बीमारी से ही नहीं, बल्कि समाज की अज्ञानता और असंवेदनशीलता से भी लड़ रहे होते हैं।

क्या है वर्टिगो?

वर्टिगो एक सिंड्रोम (Syndrome) है, न कि कोई एकल बीमारी। यह ऐसी अवस्था है जिसमें व्यक्ति को लगता है कि उसका शरीर या आसपास का वातावरण घूम रहा है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता।

प्रमुख प्रकार:

  1. सेंट्रल वर्टिगो: ब्रेन में समस्या के कारण
  2. पेरिफेरल वर्टिगो: कान और संतुलन प्रणाली से जुड़ी गड़बड़ियों के कारण

वर्टिगो के पीछे की कहानियाँ – जब हिम्मत बनती है सहारा

🧍‍♀️ रेणु शर्मा (बदला हुआ नाम): जूझते हुए भी ज़िम्मेदारियों से पीछे नहीं हटीं

रेणु हर दिन सुबह 7 बजे उठती हैं, बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं, नाश्ता बनाती हैं और ऑफिस जाती हैं। लेकिन इस दिनचर्या के पीछे उनका संघर्ष छिपा है — बार-बार चक्कर आना, सिर भारी महसूस होना और कभी-कभी ऐसा लगना जैसे वो गिर जाएंगी। फिर भी, रेणु ने हार नहीं मानी।

🧍‍♀️ पूजा वर्मा: चार साल से लगातार वर्टिगो का सामना

पूजा को शुरुआत में समझ नहीं आया कि उन्हें आखिर हो क्या रहा है। कभी-कभी अचानक चक्कर आने लगते, चलने में परेशानी होती। कई डॉक्टर बदले, कई टेस्ट हुए — अंत में वर्टिगो की डायग्नोसिस हुई। पूजा बताती हैं कि सबसे मुश्किल होता है रात को सोना, क्योंकि करवट बदलते ही चक्कर आने लगते हैं।


क्यों होता है वर्टिगो?

डॉ. विभोर उपाध्याय, न्यूरोलॉजिस्ट (मेदांता, लखनऊ) के अनुसार, वर्टिगो कई कारणों से हो सकता है:

वर्टिगो के संभावित कारण:

  • बेनाइन पेरॉक्सिज़्मल पोजिशनल वर्टिगो (BPPV)
  • मेनियर्स डिजीज (Meniere’s Disease)
  • वेस्टिबुलर न्यूरोनाइटिस
  • ब्रेन ट्यूमर या स्ट्रोक
  • माइग्रेन से जुड़ा वर्टिगो
  • हॉर्मोनल असंतुलन (खासतौर पर महिलाओं में)

वर्टिगो के लक्षण – कब समझें कि यह सामान्य चक्कर नहीं?

  • सिर घूमना या असंतुलन महसूस होना
  • चलते वक्त दीवार का सहारा लेना
  • नींद में करवट बदलते ही चक्कर आना
  • मतली या उल्टी महसूस होना
  • आंखों के सामने अंधेरा छा जाना
  • तेज़ आवाज़ या रोशनी से परेशानी

वर्टिगो के ट्रिगर्स – छोटी बातें, बड़ा असर

  • बहुत ज्यादा नमक या कैफीन का सेवन
  • तनाव और नींद की कमी
  • अचानक सिर की पोजिशन बदलना
  • मोबाइल या स्क्रीन का ज़्यादा उपयोग
  • भीड़-भाड़ वाली जगहें

इलाज और मैनेजमेंट – ज़िंदगी फिर पटरी पर

1. वेस्टिबुलर फिजियोथैरेपी (Vestibular Rehabilitation Therapy)

यह स्पेशलाइज्ड थैरेपी ब्रेन को दोबारा बैलेंस सिखाती है। इसमें सिर और आंखों की विशेष एक्सरसाइज होती हैं जो शरीर के संतुलन को सुधारती हैं।

2. डाइट में बदलाव करें

  • Low Sodium Diet: नमक की मात्रा कम करें
  • Hydration: खूब पानी पिएं
  • कैफीन और अल्कोहल से बचें
  • विटामिन D और B12 का सेवन बढ़ाएं
  • मैग्नीशियम और ओमेगा-3 युक्त फूड्स लें

3. दवाओं से राहत (जैसे आवश्यक हो तो):

  • Meclizine या Betahistine जैसी दवाएं डॉक्टर की सलाह पर
  • Antiemetic दवाएं मतली और उल्टी के लिए
  • Steroids और Anti-anxiety मेडिकेशन विशेष मामलों में

वर्टिगो में लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए?

  • योग और प्राणायाम करें: विशेष रूप से अनुलोम-विलोम और भ्रामरी
  • तनाव कम करें: मेडिटेशन, किताब पढ़ना, संगीत
  • भरपूर नींद लें: सोने और उठने का एक तय समय रखें
  • लंबे समय तक लेटना या बैठना टालें: नियमित ब्रेक लें
  • आकस्मिक सिर घुमाने से बचें: खासकर बिस्तर पर लेटते समय

मानसिक स्वास्थ्य भी है महत्वपूर्ण

क्रॉनिक वर्टिगो के शिकार लोग सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर भी संघर्ष करते हैं। बार-बार चक्कर आना, सामाजिक मेलजोल से दूर होना, और “कुछ नहीं है, तुम्हें वहम है” जैसी बातें सुनना — ये सब उन्हें भीतर तक तोड़ सकती हैं।

इसलिए ज़रूरी है कि:

  • परिवार और मित्र समझदारी और सहानुभूति से पेश आएं
  • जरूरत पड़े तो थैरेपिस्ट या काउंसलर से संपर्क करें

कब डॉक्टर से मिलें?

  • लक्षण लगातार बने हुए हैं
  • चक्कर के साथ सिरदर्द या सुनाई देने में दिक्कत हो
  • मतली और उल्टी बार-बार हो
  • संतुलन पूरी तरह बिगड़ गया हो
  • एक आंख या शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी महसूस हो

निष्कर्ष: हिम्मत और समझदारी से जीती जा सकती है यह जंग

क्रॉनिक वर्टिगो एक ऐसी स्थिति है जो रोज़मर्रा की जिंदगी को चुनौतीपूर्ण बना देती है, लेकिन सही जानकारी, समय पर इलाज और मजबूत इच्छाशक्ति से इससे लड़ा जा सकता है। जैसे रेणु और पूजा ने हार नहीं मानी, वैसे ही हर व्यक्ति वर्टिगो के साथ भी एक सामान्य, सक्रिय और खुशहाल जीवन जी सकता है।

1 comment on “जब ज़मीन घूमने लगे: क्रॉनिक वर्टिगो से जूझते लोगों की अनकही कहानी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *