हफ़्ते में सिर्फ़ चार दिन काम करने का क्या है चलन, रिसर्च में सामने आए कई फ़ायदे
“वर्क स्मार्टर, नॉट हार्डर” — ये लाइन अब सिर्फ़ मोटिवेशनल कोट नहीं रही, बल्कि दुनिया के कई देशों में कंपनियों की असल पॉलिसी बन चुकी है। हफ़्ते में चार दिन का वर्कवीक अब तेजी से पॉपुलर हो रहा है। इसका मतलब है कि कर्मचारी हफ़्ते में 5 या 6 दिन की बजाय सिर्फ़ 4 दिन काम करते हैं, लेकिन उन्हें पूरी सैलरी मिलती है।Hyundai Verna 2025: फीचर्स, लुक और माइलेज में सबसे आगे! मिड-साइज सेडान सेगमेंट की नई रानी?

दुनिया में कैसे शुरू हुआ ट्रेंड?
चार दिन के वर्कवीक का कॉन्सेप्ट सबसे पहले आइसलैंड और न्यूज़ीलैंड में बड़े स्तर पर टेस्ट किया गया।
- आइसलैंड (2015–2019): 2,500 कर्मचारियों पर ट्रायल, प्रोडक्टिविटी बढ़ी।
- न्यूज़ीलैंड: एक फाइनेंशियल कंपनी ने पाया कि 4 दिन काम करने पर कर्मचारियों का तनाव कम हुआ।
- इसके बाद यूके, अमेरिका, जापान और कई यूरोपीय देशों में यह मॉडल अपनाया गया।
रिसर्च में सामने आए फायदे
हाल ही में हुई एक अंतरराष्ट्रीय रिसर्च ने कुछ चौंकाने वाले नतीजे दिखाए —
1. प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी
कम काम के दिनों के कारण कर्मचारी मानसिक रूप से फ्रेश रहते हैं, जिससे काम की क्वालिटी और स्पीड बढ़ जाती है।
2. स्ट्रेस और बर्नआउट में कमी
कम दिन काम करने से शरीर और दिमाग को ज्यादा आराम मिलता है, जिससे तनाव कम होता है।
3. वर्क-लाइफ बैलेंस बेहतर
कर्मचारियों के पास परिवार, दोस्तों और शौक के लिए ज्यादा समय होता है।“Superman (2025) की डिजिटल रिलीज़ तारीख सामने आई—अब घर बैठे देखें Man of Steel!”
4. हेल्थ में सुधार
पर्याप्त नींद, एक्सरसाइज़ और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने का समय मिलता है।
5. कंपनियों को भी फायदा
कम बीमार छुट्टियां, बेहतर रिटेंशन रेट और खुशहाल वर्क कल्चर बनता है।
क्या चुनौतियां भी हैं?
- कुछ इंडस्ट्रीज़ जैसे हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग में इसे लागू करना मुश्किल।
- चार दिन में काम पूरा करने के लिए लंबे घंटे काम करना पड़ सकता है।
- क्लाइंट-फेसिंग रोल में टाइम मैनेजमेंट चुनौती बन सकता है।
❌ 4 दिन काम करने के नुकसान
- लंबे वर्किंग आवर्स
- कई जगह 5 दिन का काम 4 दिन में समेटने की कोशिश की जाती है, जिससे काम के घंटे और प्रेशर बढ़ जाता है।
- हर इंडस्ट्री में संभव नहीं
- जैसे अस्पताल, बैंक, कॉल सेंटर या मैन्युफैक्चरिंग जैसी इंडस्ट्री में हर दिन काम की ज़रूरत होती है।
- जॉब सिक्योरिटी पर असर
- कुछ कंपनियाँ सोच सकती हैं कि कम दिनों में काम करवाने का मतलब स्टाफ घटाना है।
भारत में 4 दिन के वर्कवीक की संभावना
भारत में फिलहाल इस पर चर्चा चल रही है। 2021 में श्रम मंत्रालय ने संकेत दिया था कि नए श्रम कानून के तहत कंपनियां 4 दिन का वर्कवीक अपना सकती हैं, लेकिन इसके साथ वर्किंग ऑवर्स 12 घंटे तक हो सकते हैं।“Skoda Slavia Limited Edition: 25 साल पूरे होने पर 500 के लिए खास सनी-प्यारी सेडान!”
🌍 दुनियाभर का अनुभव
- आइसलैंड, जापान और यूके में 4 दिन काम करने का ट्रायल हुआ और कर्मचारियों की प्रोडक्टिविटी और हैप्पीनेस दोनों बढ़ीं।“Skoda Slavia Limited Edition: 25 साल पूरे होने पर 500 के लिए खास सनी-प्यारी सेडान!”
- भारत में अभी इस पर चर्चा ज़रूर हो रही है, लेकिन ज़्यादातर कंपनियों में 6 दिन या 5 दिन का वर्किंग शेड्यूल चलता है।
निष्कर्ष
चार दिन का वर्कवीक आधुनिक वर्क कल्चर में एक बड़ा बदलाव है। जहां यह कर्मचारियों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस और हेल्थ के लिहाज़ से फायदेमंद है, वहीं कंपनियों के लिए भी यह लॉन्ग-टर्म प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकता है। हालांकि इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए इंडस्ट्री-स्पेसिफिक स्ट्रैटेजी जरूरी होगी।
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