Newztrending

जाति जनगणना पर BJP का मास्टरस्ट्रोक: राहुल गांधी, तेजस्वी और नीतीश की रणनीति पर क्या होगा असर?

जाति जनगणना पर BJP का मास्टरस्ट्रोक: राहुल गांधी, तेजस्वी और नीतीश की रणनीति पर क्या होगा असर?

जातिगत जनगणना (Caste Census) एक बार फिर भारतीय राजनीति के केंद्र में आ गई है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जिस तरह से तेज़ी दिखाई है, उसे राजनीतिक विश्लेषक ‘मास्टरस्ट्रोक’ मान रहे हैं। बिहार से लेकर दिल्ली तक और यूपी से लेकर छत्तीसगढ़ तक जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए यह मुद्दा अब वोट बैंक की राजनीति का बड़ा हथियार बनता जा रहा है। सवाल यह है कि BJP के इस दांव के बाद अब राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार की रणनीति पर क्या असर पड़ेगा?

BJP का मास्टरस्ट्रोक – गेमचेंजर या रणनीतिक दांव?

BJP लंबे समय से ‘सबका साथ, सबका विकास’ की राजनीति करती रही है, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र पार्टी ने सामाजिक समीकरणों को और मज़बूती से साधने की दिशा में कदम बढ़ाया है। जाति जनगणना की मांग पर पहले चुप्पी साधने वाली पार्टी ने अचानक इस मुद्दे को स्वीकार करते हुए अपने पत्ते खोले हैं। इससे पिछड़े वर्ग और दलित समुदाय के बीच BJP की पैठ और मजबूत हो सकती है।

राहुल गांधी की चुनौती बढ़ी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हमेशा से जातिगत जनगणना की मांग का समर्थन किया है। ‘जाति गिनती’ को वे सामाजिक न्याय की दिशा में एक ज़रूरी कदम बताते रहे हैं। लेकिन BJP की सक्रियता के बाद अब कांग्रेस के लिए यह मुद्दा सिर्फ नैरेटिव का नहीं, एक्शन का भी बन गया है। अगर कांग्रेस इस विषय पर ठोस नीति और योजना के साथ आगे नहीं आती, तो यह मुद्दा उनके हाथ से निकल सकता है।

तेजस्वी यादव की रणनीति को झटका?

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव जातिगत जनगणना के सबसे मुखर समर्थकों में से एक हैं। RJD का वोट बैंक OBC और अल्पसंख्यक समुदाय रहा है। लेकिन अब जब BJP खुद इस मुद्दे को हथियार बना रही है, तो RJD को अपना नैरेटिव और मज़बूत करना पड़ेगा। जनता के बीच यह संदेश जाना ज़रूरी है कि जातिगत गिनती का असली श्रेय किसे जाता है।

नीतीश कुमार – फायदा पहले भी मिला, अब क्या?

नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण करवाकर एक बड़ी राजनीतिक पहल की थी, जिससे उन्हें पिछड़े वर्गों का समर्थन मिला। लेकिन BJP की नई चाल ने नीतीश के लिए भी संकट खड़ा कर दिया है। JDU और BJP के बीच संबंध पहले ही टूट चुके हैं, और अब दोनों दल एक ही जातिगत वोट बैंक को लुभाने की कोशिश में हैं।

निष्कर्ष

जाति जनगणना अब केवल सामाजिक मांग नहीं रही, यह 2024 के चुनावी संग्राम का प्रमुख हथियार बन चुकी है। BJP ने इस मुद्दे को उठाकर विपक्षी पार्टियों की रणनीति को झकझोर दिया है। अब देखना होगा कि राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार कैसे पलटवार करते हैं और क्या वे इस मुद्दे को BJP से वापस छीन पाते हैं या नहीं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *