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आपकी कार में छुपा है ‘कैंसर’? ICMR की रिपोर्ट में खुलासा – सीट में इस्तेमाल होने वाला यह केमिकल है खतरे की घंटी!

🚨 ICMR ने किया बड़ा खुलासा – आपकी कार में छुपा है कैंसर का खतरा!

क्या आपने कभी सोचा है कि जो कार आपकी सुरक्षा और सुविधा के लिए बनाई गई है, वहीं आपकी सेहत के लिए खतरा बन सकती है? जी हां, ICMR (Indian Council of Medical Research) की ताज़ा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि कार सीट्स और इंटीरियर में इस्तेमाल होने वाला एक केमिकल ‘TCEP’ कैंसरजनक हो सकता है।

🔬 क्या है TCEP? – जानिए इस खतरनाक केमिकल के बारे में

TCEP (Tris(2-chloroethyl) phosphate) एक फ्लेम रिटार्डेंट केमिकल है, जिसका इस्तेमाल प्लास्टिक, फोम, और कपड़े में आग से बचाव के लिए किया जाता है।

⚙️ इसका उपयोग होता है:

  • कार सीट के फोम में
  • डैशबोर्ड और डोर ट्रिम में
  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
  • फर्नीचर में भी पाया जा सकता है

🧪 ICMR की रिपोर्ट में क्या कहा गया?

ICMR की रिपोर्ट के अनुसार:

  • TCEP में कैंसर पैदा करने वाले गुण पाए गए हैं
  • लंबे समय तक संपर्क से हार्मोनल गड़बड़ी, प्रजनन क्षमता में कमी और ट्यूमर की संभावना
  • यह केमिकल खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक खतरनाक है

🧠 वैज्ञानिक आधार – क्यों खतरनाक है TCEP?

TCEP शरीर के अंदर ऑक्सीरेटिव स्ट्रेस बढ़ाता है और डीएनए को डैमेज कर सकता है।
यह केमिकल शरीर में:

  • हॉर्मोन इम्बैलेंस
  • सेल म्यूटेशन
  • टिशू डैमेज
  • नर्वस सिस्टम पर असर डाल सकता है

🚗 किन कारों में पाया गया है TCEP?

ICMR ने यह नहीं बताया कि किस विशेष ब्रांड या मॉडल में यह केमिकल पाया गया, लेकिन आम तौर पर:

🔍 जोखिम ज्यादा उन कारों में जिनमें:

  • सिंथेटिक फोम सीट्स हैं
  • लो-कॉस्ट मटेरियल का उपयोग होता है
  • लोकल या अनरेगुलेटेड सप्लायर्स से पार्ट्स लिए जाते हैं

⚠️ कौन लोग हैं सबसे ज्यादा खतरे में?

  • रोजाना लंबी ड्राइव करने वाले लोग
  • टैक्सी ड्राइवर्स और कैब यूज़र्स
  • बच्चे जो कार में लंबा समय बिताते हैं
  • गर्भवती महिलाएं और बुज़ुर्ग

🛡️ कैसे करें बचाव? – जानिए TCEP से कैसे बच सकते हैं

✅ बचाव के आसान उपाय:

  • ऑटोमोबाइल इन्वेंट्री की जानकारी लें – खरीदने से पहले पूछें कि फ्लेम रिटार्डेंट केमिकल का उपयोग हुआ है या नहीं
  • इनहाउस एयर प्यूरिफायर का प्रयोग करें
  • कार में नियमित वेंटिलेशन रखें
  • TCEP-फ्री मटेरियल्स की पहचान करें
  • बच्चों को ज्यादा देर कार में बैठने से बचाएं

📉 भारत में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं?

ICMR की यह रिपोर्ट सरकार के लिए एक वेक-अप कॉल हो सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि:

  • BIS (Bureau of Indian Standards) को अब फ्लेम रिटार्डेंट मटेरियल पर गाइडलाइन जारी करनी चाहिए
  • ऑटो कंपनियों को पारदर्शिता लानी चाहिए
  • नियमित चेकिंग और टैगिंग सिस्टम की जरूरत

🌍 दुनिया में क्या हो रहा है?

🌐 अन्य देशों की पहल:

  • EU (यूरोपियन यूनियन) ने कई फ्लेम रिटार्डेंट्स पर बैन लगाया है
  • USA में कई स्टेट्स ने TCEP के उपयोग पर नियंत्रण लगाया है
  • जापान और कनाडा में भी इस पर रिस्ट्रिक्शन है

🧾 विशेषज्ञ क्या कहते हैं?

“भारत में ऑटो सेक्टर को अब केवल सेफ्टी रेटिंग नहीं, बल्कि हेल्थ रेटिंग पर भी ध्यान देना चाहिए।” – डॉ. आर. नागराज, पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट

“हमें इनडोर पॉल्यूशन के रूप में कारों की हवा को भी गंभीरता से लेना चाहिए।” – WHO रिपोर्ट

🔚 निष्कर्ष – सेफ कार ही नहीं, हेल्दी कार भी जरूरी है!

ICMR की यह रिपोर्ट बताती है कि अब समय आ गया है जब कारों की क्वालिटी को सिर्फ डिजाइन और माइलेज से नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के नजरिए से भी देखना चाहिए। TCEP जैसे केमिकल्स से बचने के लिए जनता, सरकार और कंपनियों को मिलकर कदम उठाने होंगे।

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