
Android उपयोगकर्ताओं के लिए बड़ी खबर – Google ने अपने Android प्लेटफ़ॉर्म को और सुरक्षित बनाने के लिए एक अहम निर्णय लिया है। अब गूगल केवल वे ऐप्स इंस्टॉल होने देगा जो वैरिफाइड डेवलपर्स द्वारा प्रकाशित किए गए हों, चाहे वे Play Store से हों या किसी अन्य स्रोत से। यह बदलाव साल 2026 के सितंबर से चरणबद्ध रूप में लागू होगा।Google ने Android इकोसिस्टम को सुरक्षित बनाने के लिए अनवेरिफाइड ऐप्स की इंस्टॉलेशन पर रोक लगाने का फैसला किया है।
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यही वजह है कि सितंबर 2026 से अनवेरिफाइड डेवलपर्स के ऐप्स Android डिवाइस पर नहीं चल पाएंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक Play Store से बाहर मिलने वाले ऐप्स में मैलवेयर होने की संभावना 50 गुना अधिक होती है।

1. यह बदलाव क्यों जरूरी हुआ?
- Google के अनुसार, “Internet-sideloaded sources” से मिले ऐप्स में Play Store की तुलना में 50 गुना अधिक मैलवेयर पाए गए थे।
- गैर-Play स्टोर ऐप्स अक्सर अज्ञात डेवलपर्स से आते हैं, जिससे मैलवेयर, ट्रैकर या जानकारी चोरी करने वाले ऐप्स का जोखिम बढ़ जाता है।
2. डेवलपर वेरिफिकेशन सिस्टम क्या होगा?
- Google एक नया Android Developer Console स्थापित करेगा जहां बाहरी (third-party) डेवलपर्स को अपनी पहचान सत्यापित करानी होगी।
- केंद्रीय रूप से पहचान वेरिफाइड होने पर ही उनका ऐप Android certified उपकरणों पर इंस्टॉल हो पाएगा।

3. कब और कैसे लागू होगा?
- सितंबर 2026 से चरणबद्ध तरीके से लागू, सभी certified Android डिवाइसों पर अनवेरिफाइड ऐप्स की इंस्टॉलेशन ब्लॉक कर दी जाएगी।
- भारत सहित अन्य देशों में यह नीति धीरे-धीरे लागू की जाएगी। Google Pixel Watch 4: 40 घंटे तक का जबरदस्त बैटरी बैकअप, भारत में इतनी है कीमत
4. Google Play Protect के अलावा क्या उपाय हैं?
- Google Play Protect अब सभी ऐप्स (Play Store या sideloaded) को स्कैन करता है और संभावित खतरे की स्थिति में ऐप को ब्लॉक या अनइंस्टॉल भी कर सकता है।
- Play Protect अब लाइव थ्रेट डिटेक्शन और AI-अधारित स्कैनिंग भी करता है, जिससे खतरनाक ऐप्स की पहचान और कार्रवाई रीयल टाइम में हो ।
5. सिंगापुर में पायलट कार्यक्रम – सफल रहा!
- सिंगापुर में एक टेस्ट के दौरान, छह महीनों में लगभग 9 लाख से अधिक इंस्टॉलेशन प्रयास अनवेरिफाइड ऐप्स के लिए ब्लॉक किए गए
- यह फीचर Cyber Security Agency of Singapore के सहयोग से विकसित किया गया था और इसे सफल माना गया।

सुझाव और भविष्य की संभावनाएँ
- उपयोगकर्ता-सशक्तता: उपयोगकर्ता अच्छे डेवलपर्स और भरोसेमंद ऐप्स पर आकर्षित होंगे।
- डेवलपर्स की स्थिति: छोटे डेवलपर्स जिन्हें पहचान वेरिफिकेशन की बाध्यता है, उन्हें इस प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह कुछ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
- गोपनीयता और सुरक्षा: पहचान सत्यापन के बावजूद ऐप का कंटेंट नहीं जांचा जाएगा—इसलिए Play Protect जैसी सुविधाएँ आवश्यक बने रहेंगी।
- वैकल्पिक ऐप स्टोर विकल्प: Amazon Appstore जैसे वैकल्पिक प्लेटफ़ॉर्म पर उपयोगकर्ता और डेवलपर्स की पहुंच प्रभावित हो सकती है। हालांकि Android खुला ही रहेगा, लेकिन सहजता कम हो सकती है।
- दूसरे देशों में प्रभाव: सिंगापुर जैसा सफल मॉडल अन्य देशों में भी अपनाया जा सकता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
2025 में किये गए इस ऐलान से साफ है कि Google Android इकोसिस्टम को अपराधियों से और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में अग्रसर है। साल 2026 के सितंबर से लागू होने वाला यह बदलाब अनवेरिफाइड ऐप्स की समस्याओं को कम करेगा और डेवलपर्स को अधिक जिम्मेदार बनाएगा।
इस परिवर्तन का सीधा असर उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा और ऐप्स की विश्वसनीयता पर होगा – एक कदम जो Android को और भरोसेमंद और सामयिक बनाएगा। खेल-खेल में बर्बादी! गेमिंग में हर साल लोगों के डूब रहे 20,000 करोड़ – पूरी रिपोर्ट
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