
टैरिफ़ क्या होता है?
टैरिफ़ एक प्रकार का टैक्स है जो किसी देश में बाहर से आने वाले सामान (आयात) पर लगाया जाता है। इसका मकसद या तो विदेशी सामान को महंगा बनाना होता है ताकि लोग अपने देश का सामान ज़्यादा खरीदें, या फिर सरकार के लिए टैक्स रेवेन्यू बढ़ाना।
उदाहरण के तौर पर, अगर किसी प्रोडक्ट की कीमत 100 रुपये है और उस पर 10% टैरिफ़ लगाया गया है, तो वह सामान अब 110 रुपये में बिकेगा।
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अमेरिका का भारत पर 50% टैरिफ़ का फैसला
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर 50% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की है, जो 27 अगस्त 2025 से लागू होगा।
दरअसल, पहले भारत पर 25% टैरिफ़ था, लेकिन ट्रंप ने अतिरिक्त 25% और बढ़ा दिया। उनका आरोप है कि भारत रूस से तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा दे रहा है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस आरोप को पूरी तरह निराधार बताया और कहा कि रूस से तेल खरीदना कोई अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, “कई यूरोपीय देश और अमेरिका खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं, तो सिर्फ भारत को टारगेट करना अनुचित है।”
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टैरिफ़ से किसे पड़ती है कीमत चुकानी?

टैरिफ़ सीधे तौर पर आयात करने वाली कंपनियों पर लगाया जाता है, लेकिन इसका असर आम उपभोक्ताओं तक पहुंचता है।
मान लीजिए, अमेरिका की कोई कंपनी भारत से 50,000 डॉलर की कार आयात करती है और उस पर 25% टैरिफ़ है, तो उसे 12,500 डॉलर का अतिरिक्त टैक्स देना होगा। यह अतिरिक्त बोझ कंपनी अपने ग्राहकों से वसूल सकती है, जिससे सामान महंगा हो जाता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर असर
ट्रंप का मानना है कि टैरिफ़ लगाने से लोग विदेशी सामान कम और अमेरिकी सामान ज़्यादा खरीदेंगे। इससे घरेलू स्तर पर उत्पादन और रोजगार में वृद्धि होगी।
लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ कहते हैं कि टैरिफ़ का सबसे ज़्यादा बोझ अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों पर ही पड़ता है। महंगे सामान से मांग घटती है, जिससे आयात कम होता है और बाज़ार में अस्थिरता बढ़ती है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर
भारत और अमेरिका के बीच सालाना अरबों डॉलर का व्यापार होता है। भारत अमेरिका को इंजीनियरिंग गुड्स, दवाइयां, जेम्स-आभूषण और टेक्सटाइल निर्यात करता है। 50% टैरिफ़ लगने से भारतीय सामान अमेरिका में काफी महंगा हो जाएगा, जिससे उनकी मांग घट सकती है।
इसका सीधा असर भारत के निर्यात उद्योग और रोज़गार पर पड़ सकता है।
वैश्विक असर
ट्रंप ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि कई देशों पर अलग-अलग दरों से टैरिफ़ लगाए हैं—
- ब्राज़ील पर 50%
- दक्षिण अफ्रीका और चीन पर 30%
- वियतनाम पर 20%
- जापान और दक्षिण कोरिया पर 15%
ऐसे फैसलों से अंतरराष्ट्रीय व्यापार अस्थिर हो सकता है और वैश्विक आर्थिक विकास दर पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
अमेरिकी कंपनियों की चिंता
नाइकी, ऐडिडास जैसी बड़ी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ़ से उनकी लागत अरबों डॉलर बढ़ सकती है, जिससे वे अमेरिका में कीमतें बढ़ाने पर मजबूर होंगी।
जब विदेशी सामान महंगा होता है, तो अमेरिकी बाजार में महंगाई भी बढ़ती है। अमेरिका में महंगाई दर पहले ही 2.4% से बढ़कर 2.7% हो चुकी है।
भारत के लिए चुनौती
भारत को अब दोहरी चुनौती का सामना करना होगा—
- अमेरिका में अपने निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाए रखना
- रूस से ऊर्जा आयात जारी रखते हुए अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक दबाव से निपटना
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को अब नए बाज़ारों की तलाश करनी होगी ताकि अमेरिकी बाज़ार पर निर्भरता कम हो सके।
निष्कर्ष
टैरिफ़ सिर्फ एक आर्थिक नीति नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय राजनीति का भी बड़ा हथियार है। अमेरिका का भारत पर 50% टैरिफ़ लगाने का फैसला दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों में तनाव ला सकता है।
आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भारत और अमेरिका बातचीत के जरिए इस मसले का हल निकालते हैं या व्यापार युद्ध और बढ़ेगा।
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