
📰 ट्रम्प का टैरिफ फिर से बहाल: कोर्ट का यू-टर्न
अमेरिका की फेडरल अपीलीय कोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए टैरिफ पर निचली अदालत (ट्रेड कोर्ट) द्वारा लगाई गई रोक को पलट दिया है। इस फैसले से अमेरिकी व्यापार नीति, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और खासकर भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम जैसे मुद्दों पर नई बहस छिड़ गई है।
⚖️ मामला कैसे शुरू हुआ?
🏛️ ट्रेड कोर्ट ने क्यों रोका था टैरिफ?

- मैनहट्टन स्थित फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT) ने 28 मई को ट्रम्प के टैरिफ को असंवैधानिक बताया।
- कोर्ट ने कहा कि ट्रम्प ने IEEPA (International Emergency Economic Powers Act) का दुरुपयोग किया।
- राष्ट्रपति को यह कानून आपात स्थिति में निर्णय लेने की अनुमति देता है, लेकिन कोर्ट के अनुसार ट्रम्प ने कोई ठोस कारण नहीं दिया।
📜 कोर्ट का तर्क:
- ट्रम्प ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
- अमेरिकी संविधान के अनुसार व्यापार का अधिकार संसद के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास।
- ट्रम्प ने “इमरजेंसी” का बहाना बनाकर टैरिफ थोप दिए।
🧑⚖️ अपील कोर्ट का फैसला
- ट्रम्प प्रशासन ने ट्रेड कोर्ट के फैसले को फेडरल सर्किट अपीलीय कोर्ट में चुनौती दी।
- अपीलीय कोर्ट ने ट्रेड कोर्ट के स्थायी रोक को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया।
- यानी टैरिफ फिर से प्रभावी हो गए हैं, जब तक अंतिम फैसला नहीं आता।
🗨️ ट्रम्प प्रशासन का जवाब
व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने कहा:
- “फैसले में कोई दम नहीं था, इसे पलटा जाना ही था।”
- “टैरिफ के ज़रिए हम मजबूत व्यापार डील की नींव रख चुके हैं।”
- “यह फैसला सिर्फ एक्टिविस्ट जजों की राय है, चिंता की कोई बात नहीं।”
🌍 भारत-पाक युद्धविराम कनेक्शन
ट्रम्प प्रशासन का दावा:
- 10 मई 2025 को भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षविराम के पीछे टैरिफ डिप्लोमेसी थी।
- अमेरिकी कॉमर्स मिनिस्टर हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि अमेरिका ने दोनों देशों को व्यापारिक प्रस्ताव देकर युद्ध रोकवाया।
कोर्ट का जवाब:
- कोर्ट ने कहा कि युद्धविराम और टैरिफ का कोई सीधा संबंध नहीं है।
- टैरिफ कानून का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
📂 किन आधारों पर मुकदमे हुए?
- लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने 5 छोटे व्यवसायों की ओर से मुकदमा दायर किया।
- 12 अमेरिकी आयातकों ने भी याचिका दी।
दोनों पक्षों का तर्क:
- टैरिफ के कारण आयातित सामान महंगा हो गया।
- इससे छोटे व्यवसायों की लागत बढ़ गई और वे प्रतिस्पर्धा में पिछड़ गए।
- राष्ट्रपति के पास इतने व्यापक टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है।
🌐 2 अप्रैल को ट्रम्प की टैरिफ घोषणा
‘लिबरेशन डे’ का ऐलान:
- ट्रम्प ने 2 अप्रैल 2025 को दुनिया भर के 100+ देशों पर टैरिफ लगाया।
- उन्होंने कहा कि यह अमेरिका को आर्थिक आज़ादी दिलाने का दिन है।
- चीन को छोड़कर बाकी देशों पर टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी गई।
चीन पर क्यों सख्ती?
- चीन ने जवाब में अमेरिकी सामान पर टैरिफ बढ़ाया।
- ट्रम्प प्रशासन ने चीन के लिए टैरिफ 145% तक बढ़ा दिए।
- बाद में समझौते के बाद कुछ रियायतें दी गईं।
💡 टैरिफ क्या होता है?
टैरिफ वह टैक्स होता है जो सरकार विदेशी सामान पर लगाती है। इससे:
- स्थानीय उद्योगों को संरक्षण मिलता है।
- विदेशी सामान महंगा हो जाता है।
उदाहरण:
- अमेरिका में टेस्ला साइबर ट्रक: ₹90 लाख
- भारत में 100% टैरिफ के बाद कीमत: ₹2 करोड़
🔁 रेसिप्रोकल टैरिफ क्या है?
रेसिप्रोकल मतलब: “जैसे को तैसा”
अगर भारत किसी वस्तु पर 100% टैरिफ लगाता है, तो अमेरिका भी उसी प्रकार की वस्तु पर 100% टैक्स लगाएगा। इससे दोनों देशों के बीच संतुलन बना रहता है।
⚙️ कौन सा कोर्ट देखता है ऐसे मामले?
मैनहट्टन का फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड (CIT):
- अमेरिका का विशेष कोर्ट जो ट्रेड और कस्टम कानून से जुड़े मामले देखता है।
- इसका अधिकार क्षेत्र अमेरिका के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर लागू होता है।
- यह कोर्ट अमेरिकी व्यापार नीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3 comments on ““ट्रम्प की टैरिफ चाल फिर कामयाब! कोर्ट ने पलटा फैसला, अब 100 देशों पर टैक्स की मार!””