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World Emoji Day 2025 पर जानिए पूरी कहानी ?

🗓️ World Emoji Day 2025: इमोजी – जो कह दे जज्बात बिन शब्दों के

हर साल 17 जुलाई को World Emoji Day मनाया जाता है — वो दिन जब हम उन छोटे-छोटे आइकन्स का जश्न मनाते हैं जो हमारे जज्बात बयां करने का सबसे आसान तरीका बन चुके हैं। आज इमोजी सिर्फ चैटिंग का हिस्सा नहीं, बल्कि युवाओं की नई भाषा बन गई है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कुछ देश इन्हीं इमोजी पर बैन भी लगा चुके हैं? यहां तक कि दिल वाली ❤️ इमोजी भेजने पर 5 साल तक की जेल हो सकती है!

💡 इमोजी का जन्म कैसे हुआ?

इमोजी का विचार शब्दों की सीमाओं से जन्मा। जापान के शिगेताका कुरीता ने 1999 में पहली बार 176 इमोजी डिज़ाइन की थी। वह एक मोबाइल इंटरनेट कंपनी में काम करते थे और मानते थे कि शब्दों के बजाय इमेज से भावनाएं बेहतर तरीके से व्यक्त की जा सकती हैं।

कुरीता ने कोई इंजीनियरिंग या डिज़ाइन की डिग्री नहीं ली थी, फिर भी उनका काम इतना प्रभावशाली था कि उनके बनाए पहले इमोजी आज न्यूयॉर्क के म्यूज़ियम ऑफ मॉडर्न आर्ट में परमानेंट कलेक्शन के तौर पर मौजूद हैं।

📘 Oxford डिक्शनरी में पहुंची इमोजी!

2013 में “Emoji” शब्द को Oxford Dictionary में शामिल किया गया और 2015 में इसे Word of the Year भी घोषित किया गया। यह इस बात का प्रतीक है कि इमोजी ने वाकई एक नई डिजिटल भाषा का रूप ले लिया है।

🌍 कौन करता है इमोजी पर कंट्रोल?

दुनिया भर में इमोजी का नियंत्रण Unicode Consortium नामक संस्था के पास है। यह एक गैर-लाभकारी संस्था है, जिसमें Apple, Google, Microsoft, Adobe, Facebook जैसी दिग्गज कंपनियां सदस्य हैं।

कोई भी व्यक्ति यूनिकोड कंसोर्टियम को नई इमोजी के लिए प्रस्ताव भेज सकता है, लेकिन उसकी मंजूरी सिर्फ कंसोर्टियम ही देता है।

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📊 हर दिन भेजी जाती हैं 10 अरब से ज्यादा इमोजी

आज के सोशल मीडिया युग में लोग हर दिन 10 अरब से ज्यादा इमोजी भेजते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली इमोजी है:
😂 “Face with Tears of Joy”

🚨 किन देशों ने इमोजी पर बैन लगाया है?

हालांकि पूरी दुनिया इमोजी को अपनाने में लगी है, लेकिन कुछ देश इमोजी के सामाजिक प्रभाव को लेकर सख्त हैं।

🔴 1. सऊदी अरब:

🔴 2. ईरान:

🔴 3. रूस:

⚠️ क्यों हो रहा है बैन?

इन देशों की सरकारें मानती हैं कि:

💬 क्या इमोजी वास्तव में इतनी ताकतवर है?

इमोजी एक डिजिटल आइकन जरूर है, लेकिन इसकी भावनात्मक ताकत इतनी है कि कई बार यह पूरा मैसेज बन जाता है। उदाहरण के लिए:

इसलिए ये छोटे आइकन राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विचारधाराओं से टकरा सकते हैं — और यहीं से विवाद शुरू होता है।

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📌 निष्कर्ष: भावनाओं की भाषा बन चुकी इमोजी पर भी लग रहे हैं पहरे

इमोजी आज केवल चैट का साधन नहीं, बल्कि आधुनिक सोच और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का जरिया बन चुकी है। World Emoji Day 2025 पर जब पूरी दुनिया इन छोटे आइकनों का जश्न मना रही है, वहीं कुछ देशों में इमोजी को “खतरनाक संस्कृति” का हिस्सा माना जा रहा है।

इससे एक सवाल जरूर उठता है — क्या इमोजी भेजने की आज़ादी पर भी सेंसरशिप लागू होनी चाहिए?

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